तुम थे वहाँ,
जब मेरी सूनी आँखें कुछ खोजा किये थीं
तुम थे वहाँ ,
जब भरी भीड़ में मैं खोया किये थी
तुम तब भी थे वहाँ ,
जब लबों पर फीकी हँसीं लिए मैं रोया किये थी
तुम तो थे वहीँ
बस नज़रें झुकी थीं मेरी ,कैसे जानती ?
कहो तो ....कैसे पहचानती ?
**शर्मिला**
niice
ReplyDelete