कहीं पर सुखा होगा ,कहीं पर सावन होगा ,
जहाँ पर बीज होगा,वहीँ पर अंकुर होगा...
कही पर डेरा होगा,कहीं बसेरा होगा,
जहाँ पर रैन कटेगी वहीँ सवेरा होगा..
कहीं पर मिलना होगा,कहीं बिछड़ना होगा,
जहाँ पर दरिया होगा वही पर संगम होगा ...
कहीं अकेला होगा,कहीं पर साथी होगा,
जहाँ पर दुनिया होगी वहीँ पर मेला होगा .....
कहीं पर खुशियाँ होंगी ,कहीं पर मातम होगा,
जहाँ पर वीरान होगा वहीँ पर मरुस्थल होगा ...
कहीं पर डोली होगी, कहीं पर अर्थी होगी,
जहाँ पर कन्धा होगा ,वहीँ सहारा होगा...
कहीं ब्लॉग्गर होगा कहीं पाठक होगा
ReplyDeleteजहाँ लिखाई होगी वहाँ टिप्पणी होगी!