Sunday, June 17, 2012

हसरतें Hasratein

हसरतें जज़्बा-ए-इश्क गर तो इश्क जुज्व -ए-हस्ती है 
मिलने का क्या रोना यारों बस फ़ुर्कत इश्क की मस्ती है

 हसरतों के दर्द ता उम्र जो छुपाये  सीने में
अब आलम ये है के, न हो दर्द  तो जां हो परेशां 

जुस्तजू हमने की ,ख्वाबों की तनहाइयों में तेरे होने की.. 
इश्क तक बात आये ये न थी हमारी हसरत 

है ये दिली हसरत,उस लम्हा हो तमाम ये सफ़र ..
के बेफिक्रे हों जिस पल हम , तेरी बेक़द्री या बेवफाई पर .

है तुझे छू कर गुजरने वाली हवाओं से हैरानी 
तेरे गेसुओं को भिगोती बूंदों से परेशानी 
मेरी हसरतों का एहसास तुझे है या नहीं,
हजारों ख्यालों की सिलवटें लिए बेहाल है  मेरी पेशानी 



8 comments:

  1. Hindi poetry has its own charm....lovely.

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  2. Wow!! Poetry...Anyone who can write poetry automatically goes ten notches up on my respect list. Guess because except for prose, no other form wields well under my stewardship..:)

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    1. Poetry is reserved only for certain very brief ,special moments for me too.I can only try Deepthy..Thank you so much for reading.

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  3. मेरी हसरतों का एहसास तुझे है या नहीं,
    हजारों ख्यालों की सिलवटें लिए बेहाल है मेरी पेशानी .
    Bahut khoob !

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    Replies
    1. Thank you Kavita and welcome to my space :)

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